तत्वों के गुणों में आवर्तिता क्या होती है ?
आवर्त सारणी के किसी वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर या किसी आवर्त में बांये से दांये जाने पर तत्वों के कुछ गुणों में क्रमिक परिवर्तन होता है। जैसे – परमाणु त्रिज्या, आयनन त्रिज्या, इलेक्ट्रॉन बंधुता, आदि।
आवर्ती गुण – तत्वों के गुणों में क्रमिक परिवर्तन होना तत्वों का आवर्ती गुण है।
आवर्तिता – तत्वों के गुणों में क्रमिक परिवर्तन होने की घटना तत्वों के गुणों में आवर्तिता है।
गुणधर्मों में आवर्तिता का कारण
(1) इलेक्ट्रॉनिक विन्यास
(2) परिरक्षण प्रभाव / आवरण प्रभाव
(3) प्रभावी नाभिकीय आवेश
(1) इलेक्ट्रॉनिक विन्यास – तत्वों को उनके परमाणु क्रमांकों के बढ़ते हुए क्रम में व्यवस्थित करने पर बाह्य कोश के समान इलेक्ट्रॉनिक विन्यास वाले तत्त्व निश्चित अंतराल के बाद दिखाई देते हैं अर्थात इलेक्ट्रॉनिक विन्यास की पुनरावृत्ति होती है तथा तत्वों के गुणधर्म इलेक्ट्रॉनिक विन्यास पर निर्भर करते हैं। अतः इलेक्ट्रॉनिक विन्यासों की आवर्तिता के कारण ही तत्वों के गुणों में आवर्तिता पायी जाती है।
(2) परिरक्षण प्रभाव / आवरण प्रभाव – किसी परमाणु की बाहरी कक्षा के इलेक्ट्रॉन्स नाभिक की ओर आकर्षित होते हैं परन्तु बाहरी कक्षाओं के इलेक्ट्रॉन्स पर अंदर वाली कक्षाओं के इलेक्ट्रॉन्स बाहर की ओर एक प्रतिकर्षण बल लगते हैं जिसे परिरक्षण या आवरण प्रभाव कहते हैं।
बाहरी कक्षा से अंदर वाली कक्षाओं में इलेक्ट्रॉन्स की संख्या बढ़ने पर परिरक्षण प्रभाव बढ़ता है।
जो भी कक्षा नाभिक के जितने पास होती है, उस कक्षा के इलेक्ट्रॉनों का परिरक्षण प्रभाव उतना ज्यादा होता है
Ke–>Le–>Me–>Ne–
1e–>2e–>3e–>4e–
se–>pe–>de–>fe–
(3) प्रभावी नाभिकीय आवेश – नाभिकीय आवेश का वह भाग जो बाह्यतम इलेक्ट्रॉनों प्रभाव डालता है, प्रभावी नाभिकीय आवेश (Z प्रभावी) कहलाता है। इसका मान वास्तविक आवेश से कुछ कम होता है।
Z प्रभावी = Z – σ
जहाँ Z प्रभावी = प्रभावी नाभिकीय आवेश
Z = परमाणु क्रमांक
σ = परिरक्षण स्थिरांक है, जिसे स्लेटर स्थिरांक भी कहते हैं।