वस्तु को आवेशित करने की विधियाँ
किसी वस्तु को आवेशित करने की निम्नलिखित तीन विधियाँ हैं
(i) चालन विधि
(ii) प्रेरण विधि
(iii) घर्षण विधि
(i) चालन विधि – जब किसी आवेशित वस्तु को अनावेशित वस्तु के निकट लाया जाता है तो आवेशों का पुनः वितरण होता है और तब तक होता रहता है जब तक दोनों वस्तुओं में सामान आवेश न आ जाये।
(ii) प्रेरण विधि – जब किसी आवेशित वस्तु को अनावेशित वस्तु के निकट लाया जाता है तो अनावेशित वस्तु के निकट वाली सतह पर विपरीत आवेश आ जाते है, और दूर वाली सतह पर सामान आवेश आ जाते हैं इस घटना को विद्युत प्रेरण कहते हैं।
(iii) घर्षण विधि – जब किसी वस्तु को दूसरी वस्तु से रगड़ा जाता है तो हमारे द्वारा किया गया कार्य ऊष्मा में परिवर्तित हो जाता है जिसके कारण इलेक्ट्रान एक वस्तु से निकलते हैं एवं दूसरी वस्तु में चले जाते हैं। जिस वस्तु से electron निकलते हैं वह धनावेशित एवं जिस वस्तु में electron चले जाते हैं वह ऋणावेशित हो जाती है।
उदहारण : 1. कांच की छड़ को रेशम के कपडे पर रगड़ने पर कांच की छड़ से कुछ इलेक्ट्रान निकलकर रेशम के कपडे पर आ जाते हैं जिससे कांच की छड़ पर इलेक्ट्रॉनों की कमी एवं रेशम के कपडे पर इलेक्ट्रॉनों की अधिकता हो जाती है। रगड़ने के उपरांत इलेक्ट्रॉनों की कमी हो जाने के कारण कांच की छड़ पर धनावेश एवं रेशम के कपडे पर ऋणावेश उत्पन्न हो जाता है।
2. आबनूस की छड़ को बिल्ली की खाल से रगड़ने पर बिल्ली की खाल से कुछ इलेक्ट्रॉन्स निकलकर आबनूस की छड़ में पहुंच जाते हैं जिससे आबनूस की छड़ पर इलेक्ट्रॉनों लो अधिकता व बिल्ली के खाल पर इलेक्ट्रॉनों की कमी हो जाती है। रगड़ने के उपरांत इलेक्ट्रॉनों की अधिकता हो जाने के कारण आबनूस की छड़ पर ऋणावेश एवं बिल्ली की खाल पर उतना ही धनावेश उत्पन्न हो जाता है।
3. जब सूखे बालों में कंघा करते हैं तब बाल और कंघे के बीच रगड़ लगती है जिससे प्रत्येक बाल से कुछ इलेक्ट्रान निकलकर कंघे में चले जाते हैं जिससे प्रत्येक बाल में इलेक्ट्रॉनों की कमी हो जाती है और कंघे में इलेक्ट्रॉनों की अधिकता हो जाती है जिस कारण प्रत्येक बाल धनावेशित हो जाते है और कंघा ऋणावेशित हो जाता है।